वो बंद दरवाजा - 1 Vaidehi Vaishnav द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो बंद दरवाजा - 1

भाग- 1

महाराजा कॉलेज ऑफ मैनजमेंट के केन्टीन में कॉलेज के सबसे हुड़दंगी विद्यार्थियों की टोली आज कई दिनों बाद एक साथ इकट्ठा हुई थी। वजह सीधी सी थी कि आज ही इन सबका फाइनल एग्जाम का लॉस्ट पेपर था।

एग्जाम के दौरान तो ये हुड़दंगी ऐसे भलेमानुस प्रतीत होते थे जैसे पढ़ाई के अतिरिक्त इन्हें किसी औऱ बात से कोई सरोकार ही न हो। द रोमियो कहा जाने वाला रौनक तो जैसे ब्रह्मचारी बन जाता कि मजाल है सामने से आती किसी खूबसूरत लड़की को नज़र उठाकर भी देख ले। हमेशा खुद को किसी सुपरस्टार एक्ट्रेस समझने वाली रिनी तो एग्जाम के दिनों में आँखों पर मोटा चश्मा लगाए ऐसे दिखती जैसे उससे ज़्यादा पढ़ाकू पूरे कॉलेज में कोई और न हो। सारा दिन गिटार हाथ में लिए हुए किसी न किसी गाने की धुन बजाने वाले सूर्या पर तो इन दिनों न जाने क्या धुन सवार हो जाती कि गिटार भूलकर सारा दिन किताबों में आंखे गढ़ाए, नोट्स का रट्टा लगाता रहता।

आज जब एग्जाम का भूत सबके सिर से उतर गया तो सभी फिर से अपने-अपने कैरेक्टर में आ गए।

एक हाथ में कॉफी कप थामे हुए दूजे हाथ की उंगली को अपनी घुंघराली लटो में लपेटते हुए रिनी ने कहा- "यार ! सच अ बोरिंग प्लेस, आई डोन्ट वांट टू गो देअर ।"

सूर्या- "तो तू ही सजेस्ट कर दे कोई अच्छी सी जगह।"

रौनक - "ओ भाई ! रहने ही दे, इससे पूछने के परिणाम लास्ट ट्रिप पर भुगत चुके हैं हम सब।"

आदि- सच कह रहे हो रौनक ब्रो, मुझे तो उस ट्रिप पर ऐसी फीलिंग आ रही थी जैसे मैं आदि नहीं आदिमानव हूँ।

रश्मि- "एक काम करते हैं। मनाली चलते है।"

आर्यन- ह्म्म्म, नॉट बेड... अमेज़िंग एंड इंटरेस्टिंग प्लेस टू विज़िट।

रौनक- ऑलराइट, मनाली को डन करते हैं औऱ परसो ही निकलते है। अभी मेरे डेड का कोई ऑफिशियल टूर भी नहीं है तो उनकी गाड़ी फ्री है।

सूर्या- अरे ! श्यामू भैया, इसी बात पर जरा समौसे और चाय हो जाए।

सभी सूर्या की बात का समर्थन करते हुए एक साथ थाप देकर टेबल बजाने लगते हैं।

सूर्या मस्ती में गाने की धुन गुनगुनाते हुए एक गीत ईजाद करते हुए कहता है...

हाँ तो मेहरबान, कद्रदान लीजिए आपकी खिदमत में पेश है एक तरोताज़ा गीत...

"चाय पीने को दिल करता है

मनाली जाने को दिल करता है

समोसा खाने को दिल करता है"

रिनी- तुझे पीटने का दिल करता है

रौनक- रिनी की बात से हम एग्री करता है...

हा!हा!हा!

सभी तेज़ ठहाके लगाते हुए सूर्या को घेर लेते हैं और उसे मज़ाक में पीटने लगते हैं।

कुछ देर केन्टीन में समय बिताने के बाद हंसते-मुस्कुराते हुए सभी अपने-अपने घर को लौट जाते हैं।

सभी थककर चूर हो चुके थे क्योंकि रातभर पेपर देने के स्ट्रेस से किसी को ठीक से नींद नहीं आई थी। घर पहुंचकर सभी घोड़े बेचकर सो गए थे।

सूरज भी आज पश्चिम दिशा की ओर ऐसे सरकता गया जैसे इम्तिहान देकर वह भी थक सा गया था और अब जल्दी अपने घर को लौट जाना चाहता हो। आसमान के अंतिम छोर से लगते ही सूरज ऐसे दुबक गया जैसे माँ के आँचल में कोई मासूम बच्चा थककर सुस्ता रहा हो। शाम अक़्सर रंगीन होकर भी वीरान सी लगती है। लेकिन आज की शाम महाराजा कॉलेज के महाराजाओ यानी स्टूडेंट्स के लिए रंगीन ही थी। सभी नींद से जागने के बाद एक दूसरे से वीडियो कॉल पर जुड़ने लगे।

रौनक- गाइस, कोई ऐसा तो नहीं है न जो ट्रिप के लिए तैयार नहीं है ?

रिनी- "वी ऑल ऑर रेडी टू गो"

आदि- वन्डरफुल ! बाय द वे व्हाई ऑर यू आस्किंग सच टाइप ऑफ क्वेश्चन ? 

रौनक- क्योंकि गाड़ी इसी वीक के लिए फ्री है। इसके बाद तो डेड के लगातार टूर रहेंगे। अब अगर किसी का भी कोई नाटक रहा तो ट्रिप कैंसिल ही समझो।

सूर्या- ना जी ना...ऐसा तो हम होने ही नहीं देंगे। हम जाएंगे और जरूर जाएंगे जानी..

सूर्या की बात सुनकर सभी एक साथ हँसते हैं।

क्या वाकई महाराजा कॉलेज के हुड़दंगियों की टोली ट्रिप पर जा पाएंगी ? जानने के लिए कहानी के साथ बने रहें।